
कांच के टुकडे
कुछ कहने लगे
जीवन के मिथ्या अंहकार को दिखाते हुए कांच के टुकड़े कुछ यूं कहने लगे कि हे मानव तू मुझमें दिखने वाले चेहरो का एतबार मत करना क्यो कि मै केवल चेहरे ही दिखा पाता हूं दिल में छुपे नक्शो के रास्तो की मंजिलें मुझ में दिखाई नहीं देती है। मैं चमकती दुनिया का बादशाह हूं लेकिन अंधेरों में मुझे मात ही खानी पड़ती हैं।
बस मेरी कहानी इतनी-सी ही है भले ही मेरे महल बना लो या दीवारों पर लटका दो। एक पत्थर के टुकड़े की मार मुझमें दिखने वाले हर चेहरों को तोड़ तोड़ कर कई चेहरों मे बदल देती है और हर टुकड़े में दिखाई देने वाली सूरत अपनी कद काठी को खो देती है।
काश मेरी संस्कृति में दिलों के भाव पढने का गुण होता ओर बोलने की तासीर होती तो मैं केवल कांच ही नहीं रहता तुम्हारी शक्ल देखने के लिए वरन् तुम्हारे दिल को बदलने का संत बन कर मै भी तुम्हे हकीकत का बयां करता कि हे मानव तू मुझे खरीद कर लाया है या अपने आप को बेच कर लाया है या अपनी अहमियत के उपहार के रूप में लाया हैं।
जब मै इस दुनिया में पैदा भी नहीं हुआ था तब भी शक्ल सजती ओर संवरती थी और मूल्यांकन कर्ता शक्ल को दिल की तासीर के हाल बता चेहरे की हकीकत का बयां कर देता था और मैं वो सब कुछ नहीं कर पाता ओर केवल तुम्हारे चेहरे ही दिखा पाता हूं। तुम्हारे दिल में बैठे उस राज को तुम्हारे लिए ही छोड़ देता हूँ।
मैं हीरे की तरह कठोर नहीं होता इसलिए मै तराशा नहीं जाता ओर तराशने पर अस्तित्व हीन बन जाता हूं। मैं कांच हूं। मेरे अस्तित्व की बस इतनी सी कहानी है। ऊपमा देकर लोग मेरी भले ही हौसला अफजाई कर ले लेकिन मै उस विष हीन सांप की तरह हूं जो केवल फुफकारता रहता हू और कुछ भी नहीं कर पाता।
संत जन कहतें है कि मानव संत के चोले धारण कर लेने या संत की उपाधिया खुद पर लाद कर लेने से कोई संत आध्यात्मिक जन या फकीर नही बन सकता जैसे पारदर्शी कांच के कलई चढा कर उसे चमकीला बनाया जा सकता लेकिन उसे हीरा नही बनाया जा सकता क्यो कि कांच और हीरा दोनो ही चमकते है लेकिन हीरा अपनी ही रचना के कारण चमकता है और ठोस होता है लेकिन कांच दूसरो के प्रकाश से ही चमकता है।
इसलिए हे मानव तू कांच बन कर इस जगत का मूल्यांकन मत कर वरन अपने आत्म दर्पण मे झांक तुझे हर सवाल का जवाब खुद ही मिल जायेगा और तेरी सार्थकता भी सिद्ध हो जायेगी कि तेरी कद काठी के रूप के अनुसार तू है या नही और तेरी सोच मे भावनात्मक काला बाजारी है या त्याग के गुण है।