मानव अपनी सुरक्षा के लिए कई जतन करता है। भोतिक शक्ति का साम्राज्य कहीं ढह ना जाये वो उसे बल देने के लिए अभोतिक संस्कृति के श्रद्धा ओर आस्था के भगवान की भी पूजा आराधना करने लग जाता है क्यो कि भय नामक जन्म जात मनोवृत्ति उसके दिल ओर दिमाग़ में घर जमाये बैठी रहती हैं । यदि उसे अदृश्य शक्ति के अदृश्य चमत्कारों पर विश्वास भी ना हो तो वो हर वक्त शक्ति के सूरमाओं को अपनी रक्षा के लिए अपने साथ ही रखता है।
इन सब का मूल उद्देश्य यही होता है कि व्यक्ति येन केन प्रकारेंण तरीके से अपनें आप की ओर अपनी शक्तियो को बनाये रखने के लिए लालायित रहता है।
व्यक्ति का उद्देश्य यही रहता है कि उसका विरोध करने वाला कोई भी व्यक्ति हो जो उसके हितो का बैरी दुश्मन बना हुआ है उससे छुटकारा मिल जाय ओर उससे बैर रखने वालीं नजरों पर ताले जड जाये। सामाजिक आर्थिक धार्मिक या राजनीतिक कोई भी क्षेत्रों हो सभी अपने बैरियो को परास्त करने के नाना प्रकार के जतन करते हैं। किसी के जतन कितने कामयाब होते हैं उसका जबाब समय ही देता है कि वो बैरियो के बैर से बरी हुआ या नहीं तथा शैतानी नजरों पर ताले जडे या नहीं।
ॠतुएं यह संदेश देतीं हैं कि हे मानव तू मेरे गुण धर्म के अनुसार ही व्यवहार कर अन्यथा मेरे बैर से तू बच नहीं पायेगा। मेरी नजरें तुझे धराशायी कर देगी और तुझे संकट में डाल देगी। सर्दी की ऋतु कहने लग रही है कि हे मानव तू भले ही राजा हो या रंक मुझे कोई भी फर्क नहीं पडता क्यो कि मै काल बन कर आती हूं। मेरी इस चुनौती को केवल उपाय करने वाला ही झेल सकता है जो काल भैरव बन कर अपनी ऊर्जा शक्ति को अपने खान पान ओर रहन सहन के अनुसार बलिष्ठ बनाता है और मुझे मुकाबले में परास्त करता है।
श्रद्धा ओर आस्था की अभोतिक संस्कृति मे इस माह मे काल भैरव अष्टमी को मनाये जाने के यही कारण है कि अब मानव को गर्म खान पान ओर रहन सहन की जरूरत है और बैरियो के बैर से बरी करने ओर उनकीं नजरों पर ताले जड जाये इसके लिए काल भैरव ही सक्षम होते हैं। आस्था ओर श्रद्धा काल भैरव को पूज कर आशीर्वाद लेतीं हैं तो अपने पर ही विश्वास रखने वाला अपने खान पान ओर रहन सहन को ॠतु के अनुकूल ढाल कर अपनी शक्ति का अर्जन करता है।
संत जन कहतें है कि हे मानव ये सर्दी की ऋतु काल बन कर आती है और इसका मुकाबला तभी हो सकता है जबकि शरीर की आंतरिक ओर बाहरी ऊर्जा शक्ति मजबूत हो।
इसलिए हे मानव तू भले ही पूजा उपासना कर लेकिन जमीनी स्तर पर तू अपने शरीर की आंतरिक ओर बाहरी ऊर्जा को बनाये रख तब ही तू काल पर विजय पा सकता है और बैरियो के बैर से बरी हो सकता है।
